7 Vastu Tips For Home : वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह महत्वपूर्ण है। यह हमारे जीवन को सुखी और समृद्ध बनाता है। वस्तु दोष एक ऐसी स्थिति है जिसमें घर की संरचना या दिशा में कुछ दोष होते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। यहां हम जानेंगे कैसे vastu दोष मुक्त घर बनाया जा सकता है।दोस्तों घर बनाते समय हमें कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है जैसा कि हमारा घर कॉर्नर पर है तिहारी पर है चौराहे पर है जो दक्षिण दिशा की ओर है इन बातों पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देना पड़ता है यदि दक्षिण दिशा की ओर दरबार का मुख्य हो तो हमें सामने की ओर एक नीम का पेड़ अवश्य लगाना चाहिए यदि ऐसा नहीं हो सकता तो आप पंचमुखी हनुमान का चित्र अवश्य लगे मुख्य द्वार के ऊपर आप पंच धातु का पिरामिड लगवा सकते हैं कुछ विशेषज्ञों की मां ने तो इससे भी vastu दोष समाप्त हो जाता है आप चाहे तो गणेश जी की पत्थर की मूर्ति भी लगा सकते हैं जिसकी पीठ आपस में जुड़ी हो क्योंकि गणेश जी के पीठ की तरफ कल है का वास होता है जिस घर में अखिलेश एवं नफरत फैलती है इसलिए आप दिनेश जी की ऐसी मूर्ति ने जिसकी दोनों तरफ गणेश जी की प्रतिमा हो पीठ आपस में टकरा रही इससे आपके घर का वास्तु दोष दूर हो जाता है यदि मुख्य द्वार और आपके घर का भितरवार है एक ही चीज में है तब भी वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है इसके लिए आपने क्या करना है आप घर के बीच वाले मध्य जो आपका द्वारा है उसे पर एक पर्दा लगाई जहां आप विंडो टाइम भी लगा सकते हैं यदि आपके मुख्य द्वार के बाद का हाल कैमरा जा आपने कोई गेस्ट रुम वगैरह या कुछ और बनाया है वह काफी बड़ा है। तो आप उसे पर अच्छी सी एक पेंटिंग लगा सकते हैं इससे भी vastu दोष से मुक्ति प्राप्त होती है !
Vastu Tips For Home
- सही दिशा और स्थान का चयन :
घर बनाने से पहले भूमि का निरीक्षण आवश्यक है। आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि आप जो प्लाट वगैरा खरीद रहे हैं अथवा किसी प्लाट पर जब भूमि पर आप जिस पर मकान बनाना चाहते हैं उसका अध्ययन अच्छी तरह से करें कहीं वह भूमि किसी पानी के तालाब के ऊपर तो नहीं बनी हुई क्या वह भूमि किसी शमशान घाट के पास में तो नहीं आती जहां वह भूमि के पास किसी तरह की कोई ऐसी अप्रिय जिसे कोई पसंद नहीं करता ऐसा स्थान तो नहीं है इन बातों का ध्यान भी आपको vastu में रखना चाहिए क्योंकि आगे चलकर यह आपके काम आने वाली चीज हैं क्योंकि इन चीजों का आपके ऊपर अभी बुरा प्रभाव दिखाई पड़ता है।भूमि का आकार और स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तु सिद्धांत कमरे, दरवाजे और खिड़कियों के स्थान को निर्धारित करते हैं, जो पांच तत्वों-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष के संतुलन पर जोर देते हैं। मुख्य दिशाओं के साथ संरचनाओं को संरेखित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक दिशा विशिष्ट ऊर्जाओं से जुड़ी होती है। वास्तु सकारात्मक और ऊर्जावान वातावरण बनाने के लिए पवित्र ज्यामिति, शुभ रंगों और सामग्रियों के उपयोग की वकालत करता है। उत्तर और पूर्व दिशा शुभ मानी जाती हैं। घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। पश्चिम और दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार होने से बचना चाहिए। यदि मजबूरी हो, तो उपाय किए जा सकते हैं। दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार होने पर ऊँची चौखट लगाएं। इससे गलत उर्जा का प्रभाव कम होता है। - रसोई और पूजा स्थान की स्थिति :
रसोई घर की दिशा का ध्यान रखना आवश्यक है। हमारे घर की शुरुआत हमारे घर की रसोई से ही होती है क्योंकि हम जैसा अन्न ग्रहण करते हैं वैसे ही कार्य वैसा ही हमारा मन हो जाता है इसलिए अन्य सबसे श्रेष्ठ कहा गया है उसी प्रकार हमारे घर का जो पूजा स्थल है वह हमें आगे बढ़ाने की कृपा प्रदान करता है जिससे हम अपने जीवन में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की प्राप्त करते हैं इसलिए vastu में रसोई और पूजा स्थान को सही ढंग से बनाना चाहिए अर्थात वास्तु शास्त्र के अधीन रहते हुए हमें रसोई और पूजा स्थान का सही चयन करना चाहिए।रसोई को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में रखें। यह दिशा अग्नि तत्व की होती है, जो भोजन पकाने के लिए सही मानी जाती है। रसोई का दरवाजा भी सही दिशा में होना चाहिए। पूजा स्थान का चयन भी महत्वपूर्ण है। इसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। यह दिशा भगवान का स्थान मानी जाती है। पूजा स्थान स्वच्छ और शांत होना चाहिए। यह घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। - बेडरूम और बाथरूम की सही स्थिति :
बेडरूम की दिशा का ध्यान रखना चाहिए। बेडरूम हमारे जीवन में काफी अहम भूमिका निभाता है क्योंकि जिस स्थान पर हम आसन ग्रहण करते हैं अर्थात हम चयन करते हैं उसे स्थान की काफी महिमा vastu शास्त्र में कही गई है कि हमें किस दिशा में सोना चाहिए जहां हमें किस दिशा में अपने पांव नहीं करने चाहिए किस दिशा की ओर मुख करके सोए कौन सी करवट लेकर सोए अथवा हमारे बेडरूम में कौन-कौन सी वस्तुएं हमें लगानी चाहिए हमें अपने बेडरूम में दर्पण लगाना चाहिए या नहीं हमें अपने बेडरूम में कौन सी तस्वीर लगानी चाहिए इन बातों का भी वास्तु शास्त्र के अधीन बहुत सारा ध्यान रखना पड़ता है। शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। यह दिशा स्थिरता और शक्ति का प्रतीक है। बेडरूम का बिस्तर दक्षिण दिशा की ओर सिर करके होना चाहिए।
बाथरूम की स्थिति भी महत्वपूर्ण है। इसे उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें। इससे नकारात्मक ऊर्जा का निकास होता है। बाथरूम के दरवाजे को हमेशा बंद रखें। इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती। - फर्नीचर और सजावट की दिशा :
घर के फर्नीचर और सजावट का सही दिशा में होना आवश्यक है। फर्नीचर को दीवार से सटा कर रखें। इससे ऊर्जा का प्रवाह सही रहता है। भारी फर्नीचर दक्षिण और पश्चिम दिशा में रखें।
सजावट के लिए हल्के और स्वच्छ रंगों का उपयोग करें। पौधे और फूल सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होते हैं। इन्हें उत्तर और पूर्व दिशा में रखें। इस vastu से घर में ताजगी और सकारात्मकता बनी रहती है। - रोशनी और वेंटिलेशन :
घर में सही रोशनी और वेंटिलेशन का होना जरूरी है। प्राकृतिक रोशनी उत्तर और पूर्व दिशा से आती है। घर में इन दिशाओं में खिड़कियाँ और दरवाजे होने चाहिए।
वेंटिलेशन के लिए भी उत्तर और पूर्व दिशा सर्वोत्तम होती हैं। इस vastu से ताजगी बनी रहती है। नियमित रूप से खिड़कियाँ और दरवाजे खोलें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। - स्वच्छता और नियमितता :
घर की स्वच्छता का ध्यान रखें। नियमित रूप से सफाई करें। गंदगी और अव्यवस्था नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। घर में अव्यवस्थित चीजें न रखें।
स्वच्छता के साथ-साथ नियमितता भी आवश्यक है। घर की नियमित सफाई और व्यवस्था से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। इस vastu से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है। - उपाय और उपचार :
वस्तु दोष को ठीक करने के लिए कुछ उपाय और उपचार किए जा सकते हैं। घर में हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर रखें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
नियमित रूप से घर में धूप और अगरबत्ती जलाएं। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व दिशा में लगाएं। इस vastu से घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
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शरांश :-
वास्तु शास्त्र एक विज्ञान है जो हमें यह सिखाता है कि कैसे प्राकृतिक तत्वों और दिशाओं का सही प्रयोग करके एक संतुलित और सकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान का निर्माण किया जा सकता है। यह विद्या हमें हमारे घर, कार्यस्थल और अन्य स्थानों को इस प्रकार से डिजाइन करने की सलाह देती है जिससे हम वहां पर स्वस्थ, सुखी और संपन्न रह सकें। vastu शास्त्र के अनुसार घर बनाने से उसमें सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। सही दिशा, स्थान और निर्माण के तरीके अपनाकर हम अपने जीवन को सुखी और संपन्न बना सकते हैं।यदि वास्तु शास्त्र के अधीन आप अपने घर का निर्माण करते हैं तो आप अपने जीवन में सुख समृद्धि को प्राप्त करेंगे आपका जीवन विधायक कहा जा सकता है आपके घर में एवं आपके कार्य स्थल में आप निश्चय ही लाभ प्राप्त होता रहेगा क्योंकि वास्तु शास्त्र के अधीन रहकर आप सही दिशा की ओर जा सकते हैं धन्यवाद !