कुंडली का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। विशेष रूप से विवाह में देरी का मुख्य कारण भी कुंडली में छिपा दोष हो सकता है। कुछ विशेष दोष होते हैं जो विवाह योग में रुकावट डाल सकते हैं। आइए जानते हैं, कौन से दोष विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं।
1. मांगलिक दोष :-
मांगलिक दोष विवाह में देरी का एक प्रमुख कारण होता है। जब मंगल ग्रह किसी व्यक्ति की कुंडली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें घर में स्थित होता है, तो उसे मांगलिक दोष कहा जाता है। यह दोष व्यक्ति के विवाह योग में बाधा डालता है और विवाह में देरी का कारण बनता है। इस दोष के कारण वैवाहिक जीवन में भी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
मांगलिक दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय हैं। एक उपाय यह है कि मांगलिक व्यक्ति का विवाह केवल मांगलिक व्यक्ति से ही किया जाए। इससे दोष का प्रभाव कम हो जाता है। इसके अलावा, मांगलिक दोष के उपायों में मंगल के मंत्रों का जाप और हवन का आयोजन भी शामिल है। इन उपायों से विवाह योग में सुधार हो सकता है और विवाह में देरी की समस्या दूर हो सकती है।
2. राहु और केतु का दोष :-
राहु और केतु का प्रभाव भी कुंडली में विवाह में देरी का कारण बनता है। जब राहु या केतु सातवें भाव में होते हैं, तो यह विवाह में रुकावटें पैदा करते हैं। राहु और केतु का दोष व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्थिति को भी प्रभावित करता है। यह दोष व्यक्ति को सही जीवन साथी चुनने में भी समस्या पैदा करता है।
राहु और केतु के दोष के निवारण के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं। एक उपाय यह है कि व्यक्ति नियमित रूप से राहु और केतु के मंत्रों का जाप करे। इसके साथ ही राहु और केतु के दोष को कम करने के लिए शिव पूजा और हवन का आयोजन भी किया जा सकता है। इन उपायों से व्यक्ति के विवाह योग में सुधार हो सकता है और विवाह में देरी की समस्या हल हो सकती है।
3. सप्तम भाव में ग्रहों का बुरा प्रभाव :-
कुंडली में सप्तम भाव विवाह का भाव माना जाता है। अगर इस भाव में शनि, राहु, केतु या मंगल जैसे ग्रह स्थित होते हैं, तो यह विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं। सप्तम भाव में स्थित ग्रहों का असर व्यक्ति के विवाह योग पर सीधा पड़ता है। अगर इन ग्रहों का प्रभाव नकारात्मक होता है, तो व्यक्ति को विवाह में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
सप्तम भाव में ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए विशेष उपायों का पालन करना चाहिए। सबसे पहले, इन ग्रहों के दोष को कम करने के लिए ज्योतिषीय उपाय अपनाने चाहिए। नियमित पूजा-पाठ और मंत्रों का जाप भी इस दिशा में लाभदायक हो सकता है। इसके अलावा, सात्विक जीवनशैली अपनाना और परोपकार के कार्य करना भी सकारात्मक परिणाम दे सकता है।
4. कालसर्प दोष :-
कालसर्प दोष भी विवाह में देरी का कारण बन सकता है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति को विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में समस्याएँ, और अन्य जीवनशैली संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह दोष व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
कालसर्प दोष के निवारण के लिए विशेष पूजा-पाठ का आयोजन करना चाहिए। कालसर्प दोष की शांति के लिए शिव पूजा, नाग पूजा, और महामृत्युंजय मंत्र का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण माने गए हैं। इन उपायों से व्यक्ति के विवाह योग में सुधार हो सकता है और विवाह में देरी की समस्या का समाधान हो सकता है। इसके अलावा, व्यक्ति को अपने जीवन में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए सत्संग और धर्म-कर्म में हिस्सा लेना चाहिए।
5. गुरु ग्रह का कमजोर होना :-
गुरु ग्रह व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि गुरु ग्रह कमजोर होता है या प्रतिकूल स्थान पर होता है, तो यह विवाह में देरी का कारण बन सकता है। गुरु ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, समृद्धि, और विवाह योग पर पड़ता है। कमजोर गुरु के कारण व्यक्ति को सही जीवन साथी नहीं मिल पाता है और विवाह में रुकावटें आती हैं।
गुरु ग्रह की शक्ति को बढ़ाने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, गुरु ग्रह के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके अलावा, पीले वस्त्र धारण करना और पीली वस्तुओं का दान करना भी लाभकारी हो सकता है। गुरुवार के दिन व्रत रखना और गुरु पूजा करना भी विवाह योग में सुधार ला सकता है। इन उपायों से व्यक्ति को विवाह में देरी की समस्या से निजात मिल सकती है।
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