kundli mein santan yog kaise dekhe

santan yog का मतलब है किसी व्यक्ति की कुंडली में बच्चों के जन्म का योग। ज्योतिष में, संतान योग को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सही ग्रह स्थिति होती है, तो संतान योग बनता है। यह योग बताता है कि व्यक्ति के जीवन में बच्चे कब और कैसे होंगे।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now


इस योग को जानने के लिए ज्योतिषी कुंडली के विभिन्न ग्रहों और भावों का अध्ययन करते हैं। संतान योग को मुख्य रूप से पंचम भाव से देखा जाता है। पंचम भाव को ‘संतान भाव’ भी कहा जाता है। इस भाव में शुभ ग्रहों की स्थिति संतान प्राप्ति के योग को दर्शाती है।

santan yog के लिए ग्रह और भाव
  • कुंडली में संतान योग का निर्धारण पंचम भाव से होता है। इस भाव को ‘संतान भाव’ कहा जाता है। इसके अलावा, नवम भाव भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के भाग्य और धर्म को दर्शाता है।
  • पंचम भाव में सूर्य, चंद्रमा, गुरु और शुक्र ग्रहों की स्थिति का विशेष महत्व होता है। अगर ये ग्रह पंचम भाव में शुभ स्थिति में होते हैं, तो संतान योग प्रबल होता है। मंगल, राहु और केतु का पंचम भाव में होना संतान योग को कमजोर कर सकता है।

  • अगर गुरु ग्रह पंचम भाव में उच्च का हो, तो संतान योग बहुत ही शुभ होता है। गुरु ग्रह को संतान का कारक ग्रह माना जाता है। चंद्रमा का पंचम भाव में होना भी संतान योग को मजबूत बनाता है।
  • नवम भाव में शुभ ग्रहों की स्थिति संतान के भाग्य और धर्म से जुड़े योग को दर्शाती है। नवम भाव का स्वामी और उसकी स्थिति भी संतान योग को प्रभावित करती है।
संतान योग प्रमुख योग :-

कुंडली में कुछ खास योग होते हैं, जो संतान योग को प्रभावित करते हैं। ये योग संतान की प्राप्ति और उनकी संख्या को भी निर्धारित करते हैं।

  • संतान प्राप्ति योग: यह योग तब बनता है जब पंचम भाव का स्वामी या गुरु ग्रह पंचम भाव में स्थित होते हैं।
  • पूर्ण संतान योग: यह योग तब बनता है जब पंचम भाव में सूर्य, चंद्रमा या गुरु ग्रह की स्थिति होती है। यह योग संतान के पूर्ण जीवन और उनकी उन्नति का संकेत देता है।
  • संतान हानि योग: यदि पंचम भाव में राहु, केतु या शनि ग्रह होते हैं, तो संतान हानि योग बनता है। यह योग संतान के जन्म में कठिनाई या संतान हानि का संकेत देता है।
  • संतान सुख योग: जब पंचम भाव का स्वामी और गुरु ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं, तो संतान सुख योग बनता है। यह योग संतान के सुख और उनके साथ अच्छे संबंध का संकेत देता है।
संतान योग के लिए शुभ उपाय:-

कुंडली में संतान योग को प्रबल बनाने के लिए कुछ खास उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय ज्योतिषीय दृष्टिकोण से संतान प्राप्ति में मदद करते हैं।

  • गुरुवार का व्रत: संतान योग को प्रबल बनाने के लिए गुरुवार का व्रत रखना फायदेमंद होता है। इस दिन भगवान विष्णु और गुरु ग्रह की पूजा करनी चाहिए।
  • गुरु ग्रह का दान: गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए चने की दाल, पीले वस्त्र, और हल्दी का दान करना चाहिए।
  • शिव पूजा: भगवान शिव की पूजा से भी संतान योग को प्रबल बनाया जा सकता है। शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करना चाहिए।
  • संतान गोपाल मंत्र: इस मंत्र का नियमित जप करने से संतान योग को बल मिलता है। यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।

Read More : Janam Kundli se Jane Love Marriage Hogi ya Arrange

FAQ’s

1. संतान योग क्या है?

संतान योग का अर्थ है किसी व्यक्ति की कुंडली में संतान प्राप्ति का योग। यह योग पंचम भाव से देखा जाता है।

2. कुंडली में संतान योग कैसे देखें?

संतान योग देखने के लिए पंचम भाव और उसमें स्थित ग्रहों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है।

3. संतान योग के लिए कौन से ग्रह महत्वपूर्ण हैं?

पंचम भाव में गुरु, चंद्रमा, सूर्य और शुक्र ग्रह की शुभ स्थिति संतान योग को प्रबल करती है।

4. संतान योग को प्रबल बनाने के उपाय क्या हैं?

गुरुवार का व्रत, गुरु ग्रह का दान, शिव पूजा और संतान गोपाल मंत्र का जप संतान योग को प्रबल बना सकते हैं।

5. कौन-कौन से ग्रह संतान योग को कमजोर कर सकते हैं?

पंचम भाव में राहु, केतु और शनि की स्थिति संतान योग को कमजोर कर सकती है।

:- अधिक जानकारी के लिए आप हमें फ़ोन और Whatsaap कर सकते है -: पंडित परमिंदर कौशिक 8198066596 -:

Leave a Comment