The 12 Houses in Kundli : भारतीय ज्योतिष शास्त्र बहुत ही बड़ा कहा गया है और इसमें अनेकों प्रकार के ग्रंथ एवं ऋचाएं देखने को मिलती है यदि भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार कहीं तो हमारे ज्योतिष में द्वादश भाव से ही पूरे जीवन का परामर्श किया जाता है कुंडली के प्रत्येक गृह भाव कहलाते हैं अर्थात जब हम कुंडली निर्माण करते हैं तो 12 घर बनाए जाते हैं उनको 12 भाव कहा जाता है अर्थात द्वादश भाव कहा जाता है कौन से भाव में किन-किन बातों का अध्ययन हमें करना चाहिए आज हम इसी बात पर चर्चा करेंगे जो भी ज्योतिष शास्त्र और kundli सीखना चाहता है एवं इसमें पहले से ही सीख चुका है और अपना कार्य कर रहा है उसके लिए भी यह जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा सकती है।जो व्यक्ति ज्योतिष के कार्य करता है अर्थात ज्योतिष सीखना चाहते हैं उसके लिए यह जानकारी अति दुर्लभ कही गई है क्योंकि इसके बिना उसकी ज्योतिष अधूरी है जब व्यक्ति को पता ही नहीं है कि कौन से भाव का क्या फल है तो वह ज्योतिष कैसे करेगा और किसी और का परामर्श कैसे करेगा दोस्तों हर एक भाव का अपना-अपना अलग से कार्य होता है कि भाव में क्या कार्य करना है और कैसे करना है ! जब हम कुंडली का विचार करते हैं तो उसमें कई बातों का ध्यान देना पड़ता है विशेष कर 12 भाग उसके पश्चात 12 भागों में बैठे नवग्रह फिर नवग्रह की दशा अंतर्दशा एवं महान दशा इसकी पश्चात हम दृष्टि का विचार करते हैं कि कौन से ग्रह की किस भाव पर दृष्टि पड़ रही है अथवा कौन सा ग्रह किस ग्रह के साथ स्वर्गीय है किस ग्रह का शत्रु है किस ग्रह का मित्र है और किस ग्रह के साथ समदृष्टता के साथ नाता बनाया हुआ है जिस ग्रह की दृष्टि क्रूर हो और वह किसी सौम्य ग्रह पर पड़ रही है तो वह भी नेक्स्ट फल प्रदान करने लग जाता है अर्थात 3612 में यदि कोई ग्रह बैठा है तो वह नुकसान प्रदान करता है इन बातों का ध्यान भारतीय ज्योतिष शास्त्र में आपको करना चाहिए यदि आप इन बातों का अध्ययन करते हैं तो आप शीघ्र अति शीघ्र एक अच्छे ज्योतिष आचार्य बन सकते हैं । ज्योतिष शास्त्र में मुष्ठी प्रसन्न का विचार भी मिलता है उसमें मुट्ठी क्या छुपा रखा है इसका विचार भी हम कर सकते हैं।
Kundli के 12 भाव
प्रथम भाव :–
दोस्तों प्रथम भाव में किसी भी जातक के शरीर का एवं जीवन का बचपन का स्वास्थ्य का आचरण रंग रूप और आत्म बल आदि का विचार किया जाता है प्रथम भाव से आयु सुख दुख मस्तिष्क प्रकृति आकृति स्वभाव शारीरिक गठन और चरित्र का अध्ययन भी किया जाता है दोस्तों मिथुन ओला कुंभ और कन्या राशि इस भाव में बलवान मानी जाती है।
द्वितीय भाव:–
द्वितीय भाव जीवन यापन करने के लिए सबसे मुख्य भाव कहा गया है क्योंकि इसमें हम धन पैतृक धन कुटुंब मित्र पशु बंधन आदि का विचार करते हैं कुंडली में यदि हम शरीर के अंगों की बात करें तो द्वितीय भाव से आंख नाक आदि का विचार भी किया जाता है यदि हम रुचि की बात करें तो द्वितीय भाग गायन से प्रेम करने वाला सचिन तक पूंजी क्रय विक्रय आदि करने वाला कलात्मक आदतों में रुचि रखने वाला होता है द्वितीय भाव मृत्यु का कारण एक्सीडेंट स्वार्थ का आदि का विचार भी किया जाता है ।
तृतीय भाव:–
यदि हम तृतीय भाव का विचार करते हैं तो तृतीय भाव में छोटे भाई एवं बहनों का विचार सर्वप्रथम किया जाता है यदि किसी का प्रश्न नौकर जाकर के बारे में है तब भी तीसरे भाव से विचार किया जाएगा kundli के तीसरे भाव में व्यापार उधम मेहनत और साहस आदि का विचार भी किया जाता है यदि हम रोग की बात करें तो गुर्दे का रोग खांसी कफ एवं स्वास्थ्य आदि के जो रोग है वह तृतीय भाव में कही गई है ।
चतुर्थ भाव :·
जब हम चतुर्थ भाव का विचार करते हैं तो हम चतुर्थ भाव में मस्तिष्क घरेलू जीवन मंत्र सुख घर बंधु सुख शांति मित्र अधिकार करते हैं क्योंकि चतुर्थ भाव सब प्रथम सुख का कहा गया है यदि हम चतुर्थ भाव में रोग का विचार करें तो गर्दन और कंधों का ज्ञान हमें चतुर्थ भाग में करना चाहिए वाहन एवं मकान आदि का सुख भी kundli के चतुर्थ भाव से ही प्राप्त होता है यदि विशेष कहा जाए तो चतुर्थ भाव माता एवं वाहन का ही माना गया है कर्क मीन और मकर राशि इस भाव में बलवान छात्रों के अनुसार कही गई।
पंचम भाव:–
पंचम भाव का विचार करते समय ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की पंचम भाव विद्या का संतान का दादा भावनाएं एवं जाति की ख्याति का कहा गया है यदि हम पंचम भाव पर और विचार करें तो kundli के पंचम भाव से नीति विनय देशभक्ति एवं गर्भ स्थान का भी विचार किया जाता है दोस्तों पंचम भाव वाक्य स्थान जट रागनी गुण हाथ का जस एवं नम्रता आदि का अध्ययन भी हम पंचम भाव से कर सकते हैं।
षष्ठम भाव :–
सिस्टम भाव विचार दोस्तों सिस्टम भाव से शत्रु का विचार एवं रोग का विचार सर्वप्रथम किया जाता है सिस्टम भाव में भाई झगड़ा मुकदमे आदि का विचार भी किया जाता है यदि हम नैनील का विचार भी सिस्टम भाव से कर सकते हैं सिस्टम भाव से दुख बीमारी आदि का विचार भी हम कर सकते हैं।
सप्तम भाव:–
जब हम सप्तम भाव का विचार करते हैं तो सप्तम भाव स्त्री का कहा गया है इसमें हम स्त्री का स्वास्थ्य मदन पीड़ा काम क्रीड़ा दैनिक रोजगार भोग विलास संबंधी रोग व्यापार विवाह प्रेम प्रेम से संबंधित विषयों के बारे kundli में विचार कर सकते हैं सप्तम भाव में प्रेमी प्रेमिका का मिलन स्त्री का रंग रूप सील चरित्र आदि का विचार भी कर सकते हैं यदि रोगों का बात करें तो सप्तम भाव में बवासीर मार्ग स्थान आदि विचार भी किया जा सकता है वृश्चिक राशि इस भाव में बलवान मानी जाती है।
अष्टम भाव :–
अष्टम भाव को आयु का भाव कहा गया है मानसिक व्याधि मृत्यु पुरातत्व प्रेम और तत्व नेपद विदेश यात्रा एवं विदेश में निवास आदि का विचार भी kundli के अष्टम भाव से किया जाता है दोस्तों गड़ा हुआ धन पूर्व जन्म का ज्ञान मृत्यु के पक्ष की स्थिति संग्राम द्रव्य आदि नष्ट मृत्यु का कारण निर्माता पाटन लिंग योनि रोग आदि का अध्ययन भी हम अष्टम भाव से ही करते हैं।
नवम भाव:–
जन्म kundli में सबसे बलशाली भाव नवम भाव कहा गया है क्योंकि नवम भाव भाग्य का विचार करवाता है भाग्यवती भाग्यवती धर्म धर्म परिवर्तन धार्मिक कठोरता ईश्वर प्राप्ति गुरु तब दिव्या बाल पुण्य तीर्थ यात्रा ऐश्वर्या मानसिक वृद्धि एवं विदेश गमन आदि का विचार हम नवम भाव से करते हैं अपने सूर्य एवं बृहस्पति प्रबल कारक माने जाते हैं ऐसा वैदिक ज्योतिष शास्त्र का कहना है।
दशम भाव:–
अब बात करते हैं kundli के दशम भाव के बारे में दशम भाव राज्य मां नौकरी प्रतिष्ठा का कहा गया है इसमें हम पिता से संबंध के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं पितृ सुख व्यापार पितृ द्रव्य कम जायदाद आदि का विचार भी किया जाता है नौकरी किस प्रकार की होगी ऑफिसर पद होगा राजकीय अथवा अमृत राजकीय सेवा करने मिलेगी या हमें विदेश यात्रा करनी होगी इसका विचार भी हम कम भाव से कर सकते हैं संभव में मेक ब्रिक और सिंह राशियों बलवान कही गई है।
एकादश भाव:–
दशम भाव के बाद जब हम आदर्श भाग की बात करते हैं तो एक आदर्श भाव लाभ का कहा गया है हम कितना पैसा कमाते हैं एक कितना पैसा जोड़ने हैं इसका विचार भी अपनी है कभी-कभी गुप्त रोग बड़े भाइयों की संख्या लाभ का विचार kundli के एकादश भाव से कर सकते हैं ।लाभ स्थान आपको लाभ प्रदान करता है आपको अकस्मात धन की प्राप्ति भी करता है ऐसा धन जिसकी आपने इच्छा भी जायर नहीं की होती फिर भी आपको वह धन प्राप्त होता है इसलिए एकादशी भाव कुंडली में काफी बलशाली माना जाता है ।
द्वादश भाव:–
kundli में द्वादश भाव काफी मायने रखता है क्योंकि द्वादश भाग में नानी का विचार किया जाता है कि आप किस कार्य में हानि प्राप्त कर सकते हैं अथवा आपको कौन सा कार्य नहीं करना चाहिए द्वादश भाव में दान भैया दंड दर्शन आदि का विचार भी किया जाता है फिजूल खर्ची नेत्र पीड़ा शत्रु का विरोध इन सब बातों का विचार भी द्वादश भाग में कर सकते हैं।
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सारांश :-
kundli में द्वादश भाव पर विचार किया जाता है ज्योतिष में मुख्यतः नौ ग्रह हैं और यह भी विशिष्ट कार्यों के हेतु है वह नवग्रह इन 12 भागों में अपने-अपने स्थान ग्रहण करते हैं स्थान की प्रधनीटा करते हुए नवग्रह अपना फल प्रदान करते हैं कौन सा ग्रह किस भाव में बैठा है अथवा कौन से ग्रह की दशा अंतर्दशा एवं महादशा चल रही है इसका विचार भी भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र में किया जाता है। धन्यवाद ।